Novice writer/learner
मैं बिल्कुल आपके जैसा हूँ!
.....Ritu Raj Upadhyay
मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं. बुद्धिमत्ता खुद पर.
.....Ritu Raj Upadhyay
Novice writer/learner
मैं बिल्कुल आपके जैसा हूँ!
मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं. बुद्धिमत्ता खुद पर.
.....Ritu Raj Upadhyayupadhyaygyan.com
ज़िन्दगी
माँ से शुरू माँ पर खत्म.....Ritu Raj Upadhyayइस दुनिया में
बिना स्वार्थ से
सिर्फ मां प्यार
कर सकती है!.....Ritu Raj Upadhyayहर रिश्ते में मिलावट देखी,कच्चे रंगो की सजावट देखी,
लेकिन सालों साल देखा है मां को
उसके चेहरे पर ना कभी थकावट देखी,
ना ममता में कभी मिलावट देखें!.....Ritu Raj Upadhyay
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से
ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।.....Ritu Raj Upadhyay
खटकता तोह उनको हूँ साहब जहाँ में झुकता नहीं ,
बाकी जिन्हे अच्छा लगता हूँ वोह मुझे कभी झुकने नहीं देते ।......Ritu Raj Upadhyay
चलो मान लिया की किस्मत में लिखे फैसले नहीं बदलते,
पर आप फैसले तोह लीजिये क्या पता किस्मत ही बदल जाए ।.....Ritu Raj Upadhyay
दूर मुझसे हो गया बचपन मगर
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है
.....Ritu Raj Upadhyay
जीतने वाला ही नहीं बल्कि कहां पर हारना है, ये जानने वाला भी महान होता है।
.....Ritu Raj Upadhyay
कुछ अच्छा होने पे जो इंसान सबसे पहले याद आता है
वो जिंदगी का सबसे कीमती इन्सान होता है |.....Ritu Raj Upadhyay
:जैसे-जैसे आप अधिक जागरुक होते जाते हैं इच्छाएं गायब होती जाती हैं. जब जागरूकता 100% हो जाती है, तब कोई इच्छा नहीं रह जाती.
.....Ritu Raj Upadhyayमंज़िल क्या है, रास्ता क्या है,
हौंसला हो तोह फासला क्या है ।.....Ritu Raj Upadhyay
तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी. वरना तो प्रेम पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है.
.....Ritu Raj Upadhyay
इससे पहले कि तुम चीजों की इच्छा करो, थोड़ा सोच लो. हर संभावना है कि इच्छा पूरी हो जाए, और फिर तुम कष्ट भुगतो......Ritu Raj Upadhyay
अपने मन में जाओ, अपने मन का विश्लेषण करो. कहीं न कहीं तुमने खुद को धोखा दिया है.....Ritu Raj Upadhyay
असल में जीवन की चाल समझते है ,
जो सफर में धूल को गुलाल समझते है ।.....Ritu Raj Upadhyay
सपने धूमिल हैं तोह क्या हुआ ,
कभी तोह सच्चे होंगे,
वक़्त बुरे है तोह क्या हुआ ,
कभी तोह अच्छे होंगे ।....Ritu Raj Upadhyay
घर का बजा रहा है बाराह।
ऐसा है मोबाइल हमारा!!.....Ritu Raj Upadhyay
बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है!
.....Ritu Raj Upadhyay
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।....Ritu Raj UpadhyayA small tagline
जब अपना नसीब खुद लिखा है
तोह दुनिया से शिकवा क्या करना ,
जब समंदर से उलझ बैठे है
तोह अब लेहरो से क्या डरना ।.....Ritu Raj Upadhyay
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बेहतर से बेहतर की तलाश करो,मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,टूट जाते हैं शीशे पत्थरों की चोट से,तोड़ से पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो।.....Ritu Raj Upadhyayसबब तलाश करो... अपने हार जाने का,किसी की जीत पर रोने से कुछ नहीं होगा।.....Ritu Raj Upadhyayआये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर,कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे।.....Ritu Raj Upadhyayज़िंदगी जब जख्म पर दे जख्म तो हँसकर हमें,आजमाइश की हदों को... आजमाना चाहिए।.....Ritu Raj Upadhyayयह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम;न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम;जिसको जितना याद करते हैं;उसे भी उतना याद आयें हम.....Ritu Raj UpadhyayMaa Bata Mujheमां तू कमजोर तो नहीं है ये मैं जानता हूंपर मुझे बात करनी है तुमसेऔर बात दरअसल ये है कि मैं ये चाहता हूंकि आज तू बात करें मुझसेतू ठीक है ना? तूने खाना खाया? दवाई ली?घर पर सब कैसे हैं?अच्छा... शहर का मौसम, तेरी तबीयत सबकैसा है?तू ठीक है ना? मेरी याद आती है ना? मैं घर आंऊये सब नहीं जानना मुझेइन सब के जवाब तो मुझे पहले से पता हैक्योंकि बरसों से ये सवाल और इनके जवाब बदले नहीं हैमुझे तुझसे वो जानना है जो तेरी आंखों के बगल में पड़ा नील चीख चीख कर मुझे बताता हैबच्ची नहीं हूं मां अब बड़ी हो गई हूंकहानियां सुनकर नींद नहीं आती हैबता वो सच्चाई जो तेरे होठों पर बर्फ के जैसी जमी रखी हैबता वो सब मुझे जिसका शोर तेरी चुप्पी से साफ-साफ सुनाई देता हैबता वो किस्सा जो तेरी पीठ पर मुझे हर बार दिखाई देता हैतेरे सुर्ख गालों पर मेहरून और नीले धब्बे हैंजो घूंघट के पीछे तूने सालों तक रखे हैंमगर मुझे नजर आते हैंमां तू कितनी भोली है तेरी चूड़ियां तेरी कलाई के चोट छुपा नहीं पातीतेरी हालत सब बताती है तू खुद बता क्यों नहीं पाती?कि तेरे फर्ज के बदले कौन से किस किस्म के तोहफे हैं ये?तेरे जीस्त के आखिर कौन सी किताब के सफे है येमुझे बता मैं वो किताब फाड़ कर कहीं फेंक दूंगीये तौफे देने वाले को मेरा वादा है तुझसेये तौफे वापस सूत समेत दुंगीमां मैं तेरी बेटी हूं मैं तेरी बेटी हूं। इतना काबिल तूने बनाया है मुझेकि पैर में चुभा कांटा खुद निकाल कर फेंक सकूंगुनाहगार और गुनाह के मुंह पर एक तमाचा टैक सकूंमां बता मुझे माथे पर सिंदूर की जगह ये खून क्यों रखा है तेरा?इसे रखने वाला सच सच बता पिता है मेरामुझे शर्म नहीं आएगीअरे कोई मोहब्बत का इजहार है क्या?तू बोल तो सही... तु बोलती क्यों नहीं?मां तेरे हकों का ऐतबार है क्या?मैं कमजोर नहीं हूं...मैं कमजोर बिल्कुल नहीं हूंमां मगर मुझसे बात कर वरना शायद कमजोर पड़ जाऊं।....ऋतू राज उपाध्यायwww.upadhyaygyan.com
ज़िंदगी सुन....चली जा रही हो चली जा रही होरुको तो सही?कबसे सदाऐं दे रही हूँ-----मैं कितने ख़त भिजवा चुकीकितनी कोशिशें करी मैंनेAlso read :zindagi 0 km. | Ritu Raj Upadhyay Poetryदीवार के जैसी ठहरकर मेरीहर ख़िश्त में ढूंढा तुमको कहाँ गयी है,-----कब आएगी मैनें जाकर पूछा सबकोक्या ताल्लुक भुला दिए हैं मुझसे?क्या मैं याद नहीं तुम्हें.. सच में?-----कल आओगी कहती होतुम आजाओगी चलो मान लियापर ये "कल" आएतब तो तुम्हारा कल आज तक नहीं आयाऔर पता नहीं कितना वक़्त लगेगाकितनी रातें, कितने दिन,-----पता नहीं कब तक और ये इंतज़ार जगेगाएक परिंदे को भेजा थाकि तूझसे कुछ पैगाम ही मिल जाता-----आज तक परिंदे को भी लगता हैतेरी हवा लग गयी रुख बदला फिज़ा का मेरे शहर मेंदरवाज़े खिड़की खुले रखे दिन रात मैंने-----Also read :Maa Tum Bolo naa| Poetry By Ritu Raj Upadhyay |और दोपहर में कि तू आ ही जाएगी या पैगाम कोई पहुंचाएगीएक रोज़ शाम हुई पैगाम आया शुक्र हैतेरा सलाम आया किसी सितम से कम नहीं हैये दो लफ़्ज़ जो तूने लिखकर भेजें हैंकम्बख़्त कि "कल आऊँगी"-----उससे अगली सुबह आफ़ताब ढ़लकर वापस आयापर आज तलक भी वो रात कटी नहीं हैबहुत मसरूफ़ हो गयी होशायद तुम शायद यकीनन!तुम्हें वक़्त नहीं मिलता मैं कुछ वक़्त देने घर तक आऊँ?-----मिल लिया कर कभी-कभी!
-----Maa Bata Mujheमां तू कमजोर तो नहीं है ये मैं जानता हूंपर मुझे बात करनी है तुमसेऔर बात दरअसल ये है कि मैं ये चाहता हूंकि आज तू बात करें मुझसेतू ठीक है ना? तूने खाना खाया? दवाई ली?घर पर सब कैसे हैं?अच्छा... शहर का मौसम, तेरी तबीयत सबकैसा है?तू ठीक है ना? मेरी याद आती है ना? मैं घर आंऊये सब नहीं जानना मुझेइन सब के जवाब तो मुझे पहले से पता हैक्योंकि बरसों से ये सवाल और इनके जवाब बदले नहीं हैमुझे तुझसे वो जानना है जो तेरी आंखों के बगल में पड़ा नील चीख चीख कर मुझे बताता हैबच्ची नहीं हूं मां अब बड़ी हो गई हूंकहानियां सुनकर नींद नहीं आती हैबता वो सच्चाई जो तेरे होठों पर बर्फ के जैसी जमी रखी हैबता वो सब मुझे जिसका शोर तेरी चुप्पी से साफ-साफ सुनाई देता हैबता वो किस्सा जो तेरी पीठ पर मुझे हर बार दिखाई देता हैतेरे सुर्ख गालों पर मेहरून और नीले धब्बे हैंजो घूंघट के पीछे तूने सालों तक रखे हैंमगर मुझे नजर आते हैंमां तू कितनी भोली है तेरी चूड़ियां तेरी कलाई के चोट छुपा नहीं पातीतेरी हालत सब बताती है तू खुद बता क्यों नहीं पाती?कि तेरे फर्ज के बदले कौन से किस किस्म के तोहफे हैं ये?तेरे जीस्त के आखिर कौन सी किताब के सफे है येमुझे बता मैं वो किताब फाड़ कर कहीं फेंक दूंगीये तौफे देने वाले को मेरा वादा है तुझसेये तौफे वापस सूत समेत दुंगीमां मैं तेरी बेटी हूं मैं तेरी बेटी हूं। इतना काबिल तूने बनाया है मुझेकि पैर में चुभा कांटा खुद निकाल कर फेंक सकूंगुनाहगार और गुनाह के मुंह पर एक तमाचा टैक सकूंमां बता मुझे माथे पर सिंदूर की जगह ये खून क्यों रखा है तेरा?इसे रखने वाला सच सच बता पिता है मेरामुझे शर्म नहीं आएगीअरे कोई मोहब्बत का इजहार है क्या?तू बोल तो सही... तु बोलती क्यों नहीं?मां तेरे हकों का ऐतबार है क्या?मैं कमजोर नहीं हूं...मैं कमजोर बिल्कुल नहीं हूंमां मगर मुझसे बात कर वरना शायद कमजोर पड़ जाऊं।....ऋतू राज उपाध्यायwww.upadhyaygyan.com
ज़िंदगी सुन....चली जा रही हो चली जा रही होरुको तो सही?कबसे सदाऐं दे रही हूँ-----मैं कितने ख़त भिजवा चुकीकितनी कोशिशें करी मैंनेAlso read :zindagi 0 km. | Ritu Raj Upadhyay Poetryदीवार के जैसी ठहरकर मेरीहर ख़िश्त में ढूंढा तुमको कहाँ गयी है,-----कब आएगी मैनें जाकर पूछा सबकोक्या ताल्लुक भुला दिए हैं मुझसे?क्या मैं याद नहीं तुम्हें.. सच में?-----कल आओगी कहती होतुम आजाओगी चलो मान लियापर ये "कल" आएतब तो तुम्हारा कल आज तक नहीं आयाAlso read :Ritu Raj Upadhyay | Immature Ink | Instagram Quotes | Whatsapp Statusऔर पता नहीं कितना वक़्त लगेगाकितनी रातें, कितने दिन,-----पता नहीं कब तक और ये इंतज़ार जगेगाएक परिंदे को भेजा थाकि तूझसे कुछ पैगाम ही मिल जाता-----आज तक परिंदे को भी लगता हैतेरी हवा लग गयी रुख बदला फिज़ा का मेरे शहर मेंदरवाज़े खिड़की खुले रखे दिन रात मैंनेIn-----Also read :Maa Tum Bolo naa| Poetry By Ritu Raj Upadhyay |और दोपहर में कि तू आ ही जाएगी या पैगाम कोई पहुंचाएगीएक रोज़ शाम हुई पैगाम आया शुक्र हैतेरा सलाम आया किसी सितम से कम नहीं हैये दो लफ़्ज़ जो तूने लिखकर भेजें हैंकम्बख़्त कि "कल आऊँगी"-----उससे अगली सुबह आफ़ताब ढ़लकर वापस आयापर आज तलक भी वो रात कटी नहीं हैबहुत मसरूफ़ हो गयी होशायद तुम शायद यकीनन!तुम्हें वक़्त नहीं मिलता मैं कुछ वक़्त देने घर तक आऊँ?-----मिल लिया कर कभी-कभी!
-----अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में
......Ritu Raj Upadhyay
यूँ असर डाला हैं मतलबी लोगो ने दुनिया पर
हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं की कोई काम होगा......Ritu Raj Upadhyay
किसी गरीब को मत सताना वो तो बस रो देगा
पर उपरवाले ने सुन लिया तो तू अपनी हस्ती खो देगा......Ritu Raj Upadhyayभ्रष्टाचार पर कविताभ्रष्टाचार बन गया है देश का अब फैशन।
प्यार से चल रहा ऑफिस हो या स्टेशन।।ऑफिस हो या स्टेशन, रेट सब जगह है फिक्स।
ईमानदारी से लेते रिश्वत फिर काहे का रिस्क।।फिर काहे का रिस्क corruption के खेल में।
रिश्वत ही बचा लेती जाने से जेल में।।जेल में जाते वो जो नहीं खाते पैसा।
भ्रष्टाचारियों का आचरण मिलता डकैत जैसा।।डकैत जैसा आचरण लुटते हैं प्यार से।
दिखते बड़े देशभक्त अपने ये व्यवहार से।व्यवहार से बन गए आस्तीन के सांप।
घुस लेकर मन में खुश मुंह से करे प्रलाप।।मुंह से करे प्रलाप बहाकर आंसू घड़ियाली।
आशीर्वाद का काम करती करप्शन की गाली।करप्शन की गाली ना देना इनको भूलकर।
वरना भ्रष्टाचारी के अन्य साथी खा जायेंगे भूनकर।।भूनकर खा जाएंगे तुमको हाथों – हाथ।
संसद से सड़क तक भरी इनकी जमात।।भरी इनकी जमात सो भ्रष्टाचार पे ना उंगली उठाओ।
शांति पूर्वक दे दो रिश्वत और भ्रष्टाचार बढ़ाओ।।.....Ritu Raj Upadhyay
मेरे वज़ूद की कहानी वो, मेरे सर पे जिसका साया हैं,
माँ तुझसे ये दुनिया मेरी, तुझसे ही जीवन पाया हैं,हर एहसास तुझसे ही जाना मैने इस जहाँ में आके
है कर्ज़दार उसका ये बेटा, दूध जो तूने पिलाया हैंपहला लफ्ज़ तू बनी मेरे जीवन का, खुदा के करम से,
पकड़ मेरे हाथों को, मुझे संभलना सिखाया हैंमेरे एक छींक पे तड़पना तेरा, कितनी रात तू सोई नहीं
खुद को जला दोपहर भर, तेज धुप से बचाया हैंहूँ आज मैं अपने क़दमों पे, जहाँ को पार कर के,
हूँ पर तेरे क़दमों में, जिससे हर सीख को पाया हैंतेरी ममता का प्यासा हूँ, लुटा दे मुझपे “सच्चा प्यार”
पूजता हूँ तुझे ऐसे, की भगवन की जगह बिठाया हैंहै दुआ ऊपर वाले से, गर वो इस जहाँ में कही है
रखे सदा खुश उसे, जिसने मुझे दुनिया में लाया हैंमेरे वज़ूद की कहानी वो, मेरे सर पे जिसका साया हैं,
माँ तुझसे ये दुनिया मेरी, तुझसे ही जीवन पाया हैं,.....Ritu Raj Upadhyay
Gaya ji Bihar 823001
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upadhyaygyan2474@gmail.com 7562863808https://www.facebook.com/ritu.bhardwaj.1297943पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है
सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है
इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को सब ऊपर वाला देता है
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।......Ritu Raj Upadhyay
ना संघर्ष, ना तकलीफ…
तो क्या मज़ा है जीने में
बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं
जब आग लगी हो सीने में !.....Ritu Raj Upadhyay
- कभी मतलब के लिए तो कभी दिखावे के लिएहर कोई खेले जा रहा हैं अपनी ज़िन्दगी के लिए.....R.R.Uज़िन्दगी विज्ञानं के प्रयोग जैसी हैजितनी बार प्रयोग करोगेपेहले से उतने ही बहेतर सफल होगे......R.R.U
- यूँ ही न अपने मिज़ाज को चिड़चिड़ा कीजियेकोई बात छोटी करे तो दिल बड़ा कीजिये.....R.R.U
खुबसूरत सा वो पल था पर क्या करें वो कल था
.......R.R.U
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